शनिवार, 17 अप्रैल 2010

हर प्रकार के बदन दर्द

एक लहसुन का गठिया लेकर उसकी चार कलिया छीलकर तीस ग्राम सरसों के तेल में डाल दे । उसमें दो ग्राम अजवायन के दाने डाल कर धीमी-धीमी आँच में पकायें । लहसुन और अजवायन काली पड़ने पर तेल उताकर थोड़ा ठण्डा कर छान लें । इस सुहाते गर्म तेल की मालिश करने से हर प्रकार का बदन दर्द दूर हो जाता है ।

सारे शरीर में खुजली

100 ग्राम नारियल के तेल में 5 ग्राम देशी कपूर (कपूर डेला) मिलाकर किसी कांच की शीशी में भर लें और कसकर डाट लगा दें। हिलाने अथवा कुछ देर धूप में रखने से तेल और कपूर एक रस हो जायेंगे । रोजाना नहाने से पहले इस तेल की मालिश करने से सारे शरीर में उठने वाली खुजली में आराम मिलता है और सार चर्म विकार दूर हो जाते है । सारे शरीर में खाज होने से इस तेल की 10 बून्द बाल्टी भर पानी में डालकर नहाने से भी वह शांत हो जाती है ।

विशेष - दाद विशेषकर (जिसमें फुंसी की तरह दाने निकल कर जलन और खुजली के साथ पानी निकलता हो ) में इस तेल को रात को सोते समय दाद के स्थान पर लगायें । कुछ दिनों में इस घाव में सफेद खाल आयेगी और त्वचा अपने असली रंग में आ जायेगी ।

तुतलाना एवं हकलाना

बच्चे यदि एक ताजा हरा आँवला रोजाना कुछ दिन चबाएँ तो तुतलाना और हकलाना मिटता है। जीभ पतली और आवाज साफ आने लगती है। मुख की गर्मी भी शांत होती है।
बादाम की गिरी सात, काली मिर्च सात, दोनो को कुछ बूंदे पानी के साथ घिसकर चटनी से बना लें और इसमे जरा-सी मिश्री पिसी हुई मिलाकर चाटें। प्रात: खाली पेट कुछ दिन लें।
स्पष्ट नहीं बोलने और काफी ताकत लगाने पर भी हकलाहट दूर न हो तो दो काली मिर्च मुँह में रखकर चबायें-चूसे। यह प्रयोग दिन में दो बार लम्बे समय तक करे।

पानी अनेक रोगों की एक दवा-जल चिकित्सा पध्दति

सायंकाल ताम्बे के एक बर्तन में पानी भरकर रख लें। प्रात: सूर्योदय से पहले उस बासी पानी को पीयें तथा सौ कदम टहल कर शौच जायें। इससे कब्ज दूर होकर शौच खुलकर आयेगी। इससे मलशुध्दि के साथ बवासीर, उदय रोग, यकृत-प्लीहा के रोग, मूत्र और वीर्य सम्बन्धी रोग, सिर दर्द,नेत्रविकार तथा वात पित्त और कफ से होने वाले अनेकानेक रोगों से मुक्त रहता है। बुढ़ापा उसके पास नहीं फटकता और वह शतायु रहता है

नेत्र-विकारों से बचाव

सुबह दांत साफ करके, मुँह में पानी भरकर मुँह फुला लें। इसके बाद आखॉं पर ठ्ण्डे जल के छीटे मारें। प्रातिदिन इस प्रकार दिन तीन बार प्रात: दोपहर तथा सांयकाल ठ्ण्डे जल से मुख भरकर, मुँह फुलाकर ठ्ण्डे जल से ही आखॉं पर हल्के छींटे मारने से नेत्र में तेजी का अहसास होता है और किसी प्रकार नेत्र विकार नहीं होता ।
विशेष - ध्यान रहे कि मुँह का पाने गर्म न होनी पाये। गर्म होने से पानी बदल लें । मुँह से पाने निकालते समय भी पूरे जोर से मुँह फुलाते हुए वेग से पानी छोड़ने से ज्यादा लाभ होता है, आँखों के आस पास झुर्रियाँ नहीं पड़ती

फेफड़ों के रोगों से बचाव

ताजा मुनक्को के 15 दानो को पानी से साफ करके रात में 150 ग्राम पानी में भिगो दें। प्रात:काल तक वे फूल जायेगें । प्रात: बीज निकाल कर उन्हें एक-एक करके खूब चबायें । बचे हुए पानी को भी पीलें । एक माह तक सेवन करने से फेफड़े की कमजोरी खत्म हो जाती है ।

खाँसी से बचाव

भोजन के एक घण्टे बाद पानी पीने की आदत डाली जाये तो केवल आप खाँसी से बचे रहेगें बल्कि आपकी पाचन शक्ति भी अच्छी बनी रहेगी ।

मुख के रोगों से बचाव

मुख में कुछ देर सरसों का तेल रखकर कुल्ली करने से जबड़ा बलिष्ट होता है। आवाज ऊँची और गंभीर हो जाती है। चेहरा पुष्ट हो जाता है और छ: रसों में से हर एक को अनुभव करने की शक्ति बढ़ जाती है। इस क्रिया से कण्ठ नहीं सूखता और होंठ नहीं फटते हैं। दांत भी नहीं टूटते क्योंकि दांतो की जड़े मजबूत हो जाती है।

विशेष - सरसों का तेल की अकेले दांत व मसूड़ों पर मालिश करने से भी दांत मजबूत होटल हैं।

दांतों की मजबूती के लिये

यदि मल-मूत्र त्याग के समय रोजाना उपर-नीचे के दांत को भींचकर बैठा जाये तो दांत जीवन नहीं हिलते। इससे दांत मजबूत होते है और जल्दी नहीं गिरते। लकवा मारने का डर भी नहीं रहता।
विशेष - स्त्री,पुरुष बालक सभी को जब भी वे शौच तथा करने जायें ऐसी आदत अवश्य डालनी चाहिये। इससे दांतों का पायरिया,खून या पीप आना, दांतों का हिलना बहुत शीघ्र बन्द हो जाता है। हिलते दांत आश्चर्यजनक रूप से दृढ़ हो जाते हैं